रेणु गुप्ता भविष्यके कर्णधार आ वर्तमानके जिमेबार कहेजाएबाला विद्यार्थीके पढाइ चालू शैक्षिक सत्रमे सबसे बेसी मर्कामे परल देखलगेल हए । सभी प्रकारके राजनीतिक आ प्राकृतिक विपदाके पराकाष्ठा अमकीबेरके विद्यार्थी भोगेके बाध्य होएलासे वर्तमानके विद्यार्थीके सबसे बेसी मर्का भी परल हए ।
विद्यार्थीके मर्काके देखके कुछ लोग त ई साल ही बालबालिकाके व्यर्थमे गेल बतारहल हए । अइसही कुछ विद्वान लोगके मतमे ई सालके शैक्षिक सत्रके गन्ती करनाइ आ नकरनाइ दुनु बराबरजइसन रहल हए । वास्तवमे नेपालके शैक्षिक इतिहासमे ही बालबालिकाके पढाइपर सभी किसिमके असरके चरम रुप देखलगेल सम्भवतः पहिलबेर होसकइअ । मधेशके स्कुलसे लेके क्याम्पसतक पढेबाला सभी विद्यार्थीके ओतने मार परल हए तइओ अभी एसएलसीके तैयारी कररहल विद्यार्थी अत्यधिक मारमे परल देखलगेल हए ।
शैक्षिक सत्र सुरु होएकेबेरिया ही भूइँकप आएल आ कुछे दिनके बाद फेर दोहरएलासे करिब एक महिना त पढाइ डिस्टर्ब ही भेल रहे । विद्यालय आ क्याम्पस खुललाके बाद भी बारम्बार धरती हिलइत रहेके आ भूइँकप आरहल हई कहके हल्ल होइते रहलासे विद्यार्थीके मानसिकता पढाइके ओर जाही नसकल रहे । कुछ बालबालिकाके मानसिकतामे त पुरे डर भरगेल रहे । डरके मारे कौनो विद्यार्थीके पढाइमे मन नलागेके होएलासे कुछ दिनतक स्कुलमे हाजिरी करेके आ भूइँकपके डरसे भरल मनके पढाइके ओर खिँचेके मनोवैज्ञानिक काममात्रे कएलगेल रहे । बालबालिकामे भूइँकपसे परल मनोवैज्ञानिक प्रभावसे मुक्त करेके क्षेत्रमे शिक्षक आ अभिभावकद्वारा कएलगेल महत्वपूर्ण कामके बाद एक महिना मोस्किलसे पढाइ चलल होतई, ओकराबाद त सरकारी स्कुलमे गर्मी विदा होगेलई । गर्मी विदाके समयमे खुलल कुछ निजी स्कुल सबमे भी वर्षासे पढाइ डिस्टर्बे रहलई ।
गर्मीके विदा सुधेके आ राजनीतिक आन्दोलनके कारण मधेशके सभी स्कुल बन्द होएके समय एकेबेर परल । सामान्यतया भादोके पहिल दिन सरकारी स्कुलके खुलेके समय रहले पढाइके दृष्टिसे मगर ओही दिनसे बन्द भी सुरु होएलासे बालबालिकाके पढाइ रोकाएल त अगहन महिनाके पहिल हप्तामे मोस्किलसे सुरुआत होएसकल । भूइँकपसे एक महिनातक बन्द रहल सभी स्कुल एकसे दू महिनातक चललाके बाद गर्मी विदामे बन्द भेलाके बाद एकेबेर अगहनके पहिल हप्तामे खुललासे चार महिना लगातार बन्द रहल देखलजाइअ । ई सभीके एक जगह जोरलापर बैसाखसे अभीतक बालबालिकाके पढाइ पाँच महिना अवरोध होगेल हए । एके शैक्षिक सत्रमे पाँच महिना पढाइ बन्द होएल आ चैतमे पढाइ नहोएके देखलगेलासे आधा शैक्षिक सत्रके समय त सोझे बरबाद भेल हए । जब पढाइ होएबाला समयके आधा समय बरबाद होगेलाके बाद विद्यार्थीके पढाइपर लोडसेडिङके ग्रहण लागल हए । वर्तमानमे बालबालिकाके पढाइ स्कुलमे त चलरहल हए मगर घरमे पढेके समयमे लाइन नरहलासे बालबालिकाके पढाइ बहुत डिस्टर्ब होरहल हए । सरकारी स्कुलमे पढके घरे आएल बालबालिका सब घरे लाइन नहोएलासे घरे पढे नसकल प्रतिक्रिया निरन्तर देरहल हए । पढेके समयमे लाइन नरहलासे बालबालिकाके पढाइ प्रभावित होनाइ एई सालके मात्रे नहोके हर सालके बात होएलाके बाद भी बालबालिकाके पढाइके समयके लेल सरकारके ओरसे कौनो ठोस व्यवस्था वा विकल्प नहोनाइ दुर्भाग्यके बात ही रहल हए ।
लोडसेडिङ विद्यार्थीके लेल दुश्मनसे कम नहए । गर्मीसे लेके ठन्ढीतकके समयमे विद्यार्थी खास पढे नपएले आ जब स्कुलमे पढाइके वातावरण बनल हए तब जाके घरके पढाइके समयले बिजुली धोखा देले होएलासे विद्यार्थीके पढाइ अधुरा ही रहल हए । भूइँकपके डरसे उबरके आ बन्दके निरन्तरके मारसे बँचलाके बाद लोडसेडिङके प्रहारसे विद्यार्थीके पढाइके कम्मर कमजोर पररहल हए । बालबालिकाके पढाइमे मन लगाबेके लेल भी घरमे बिजुलीके होनाइ जरुरी हए । घरमे बिजुली नहोएलासे बालबालिका सबेरे आ साँझमे दुरेदुरे घुमके घुर तापइत देखलजारहल हए । अनावश्यक गप करेके समय बिताबेके अलाबा विद्यार्थीके आगे दोसर कौनो कामे नबुझारहल हए । विद्यार्थीमे पढाइप्रति वास्तवमे उत्साह बहुत कम हए । कम उत्साहके बहुते कारणमेसे एगो कौनो दिन भी निमनसे लाइन नरहनाइ भी एगो प्रमुख कारण रहल अभिभावक लोगके कहनाम हए । अपना भविष्यपर चिन्ता करेके लेल भी घरमे इँजोत नरहेके आ सभीओरके अमकीबेरके सालके पढाइके कमजोर बनाबेके काम होरहल विद्यार्थी सबके भी अनुभूति रहल हए । विद्यार्थीके लेल पढाइसे बढके दोसर कुछो होइए नसकले मगर पढेके मौका बिजुलीके कारणसे नहोई तब पढाइ विद्यार्थीसे दूर जनाइ एकदम स्वाभाविक रहल हए ।
विद्यार्थीके पढाइके दृष्टिसे ई साल विशेष अवस्था रहल हई । वास्तवमे कहलजाए त मधेशके आठगो जिलामे पढाइके संकटकाल ही रहल हए । भूइँकप, गर्मी विदा, बन्द आ लोडसेडिङके साथे ठन्ढीके कहरसे पढाइके त बहुत मर्का परल हए । पढाइके मर्का इहाँतक कि एक सबेरे उठके टिउसन जाएके समयमे ठन्ढीसे बँचेके उपाय सोंचेके बाध्य हए बालबालिका । साँझमे लाइन नहोएलासे पढेके उपाय नहए बालबालिकाके । दुपहरियामे स्कुल चलरहल हए तब इस्कुलमे पढाइमे व्यस्त होएके परले । सार्वजनिक यातायात सुचारु नहोएलासे बहुत विद्यालयमे शिक्षकके उपस्थिति निमनसे होइते नहए । लिजर घन्टी गेलासे बालबालिका परसान हए । कुछ जगहपर शिक्षक पहुँचेला डेराइत हए । डेराएल मानसिकतासे पढाइमे भी असर पररहल हए । केनहु आन्दोलनके बात सुनलापर बालबालिकाके मानसिकता भी प्रभावित होरहल हए । पढेके समयमे आरहल अनेक समस्यासे बालबालिकाके एई सालके पढाइ बिलकुल अलग ढंगसे अगाडि बढलासे पहिलेके हिसाबसे पढे नपारहल हए । अभिभावक आ शिक्षकके चाहना होएलाके बाद भी भौतिक परिस्थिति पढाइके अनुकूल हरदम नहोनाइ एगो लमहर समस्या हए ।
महिनोंतक बन्द रहल विद्यालय मोस्किलसे धुकुरधुकुर चलेके सुरु कएले हए । ओहीमे विभिन्न संघसंस्थाके जागरण अभियानसे पढाइ प्रभावित होरहल हए । कुछ सरकारी निकाय आ कुछ गैरसरकारी निकायके पाँच महिनाके रुकल विद्यार्थीमे जाएबाला कार्यक्रम सब लगातार जाएलगलासे भी पढाइके ओर बालबालिका एकाग्रचित्त नहोरहल हए । पढाइके अवरोध कके बालबालिकाके विभिन्न प्रतियोगिता आ समूह कार्यमे भी बाहर जाएके पररहल हए । कुछ संघसंस्था विद्यार्थीके अन्य सहायक कार्यमे भी प्रयोग कररहल हए । विद्यालय खुललाके बाद बहुत स्कुलके बालबालिकाके केतनाबेर जुलुसमे भी सहभागी होएके परल हए । सामाजिक जागरणमूलक जुलुसमे भी विद्यार्थीके सहभागिता होएल देखलगेल हए । बालबालिकाके प्रयोग राजनीतिक स्वार्थके पूरा करेके लेल भी कएलगेल हए । एई सालके पढाइ सामान्यावस्थाके नहोके विशेष वा विशिष्ट अवस्थाके होएलासे सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संघसंस्था चाहे समाजके अन्य क्षेत्रके लोग बालबालिकाके ध्यान कौनो किसिमके दोसराओर जाएके हिसाबसे अप्पन गतिविधि संचालन नकरइत त बहुत अच्छा रहइत । सभी किसिमके तर्क आ वादविवादसे अलग राखके विद्यार्थीके पढाइके महत्व देनाइ वर्तमानके आवश्यकता बनल हए ।
भूइँकपसे हिलल, गर्मी विदासे विदा भेल, बन्दसे बन्द भेल आ लोडसेडिङसे अन्हार बनल बालबालिकाके पढाइके जेतने समय हए ओतनेमे अत्यधिक उपलब्धिके लेल उपयोग करनाइ जरुरी हए । शिक्षा क्षेत्रसे प्रत्यक्ष सम्बन्ध राखेबाला सभी अभिभावक, व्यवस्थापन समिति, शिक्षक अभिभावक संघ, विद्यालय, शिक्षक आ विद्यार्थी सभीके अपना तरफसे पढाइके वातावरण बनाबेला कौनो कसरत नछोडेके चाहिँ । अभीके समय बहुत महत्वपूर्ण हए । सरकारके भी बालबालिकाके एसएलसीके तयारी करेला कमसेकम साँझमे लोडसेडिङ नहोएबाला वातावरण बनाबेके चाहिँ । विद्यालयके लेल विशेष व्यवस्था करनाइ जरुरी हए । न त लोडसेडिङसे प्रभावित नहोएबाला हिसाबसे विद्यालयमे अनिवार्य रुपसे सोलारके व्यवस्था करेके चाहिँ । विद्यालयके लोडसेडिङ मुक्त क्षेत्र घोषणा कएलापर भी बालबालिकाके पढाइपर सकारात्मक असर परतिअई आ शिक्षाके गुणस्तरमे सकारात्मक सुधार होतिअई । तत्कालमे पढाइके उपर नकारात्मक प्रभाव पारेबाला सभी तत्वके कमजोर बनाबेके आ पूरा समय बालबालिकाके पढाइ निर्वाध होएके वातावरण बनाबेके लेल सम्बन्धित विद्यालयके सभी पक्षके जिमेबार होएके परतई । एई सालके विशेष अवस्थामे अपना बालबालिकाके पढाइके लेल अभिभावक लोगके भी विशेष नजरसे देखनाइ समयके माग होगेल हए । समयपर ध्यान नदेलाके बाद बादमे पछताएके अलाबा दोसर कौनो विकल्प हमनीके आगे नरही । अभीके समयके उपयोग नकएलाके बाद आगामी समयके पढाइ भी कमजोरके होएलासे वर्तमानके अवस्थामे सुधारके लेल हमनी सब अपना तरफसे होएबाला सभी प्रयास करनाइ जरुरी हए, कर्तव्य भी हए ।